( पंजी. यूके 065014202100596 )
नमो दुर्गतिनाशिन्यै मायायै ते नमो नमः, नमो नमो जगद्धात्र्यै जगत कर्ताये नमो नमः,
नमोऽस्तुते जगन्मात्रे कारणायै नमो नमः, प्रसीद जगतां मातः वाराह्यै ते नमो नमः ।
नमो देवि विश्वेश्वरि प्राणनाथे सदानन्दरूपे सुरानन्ददे ते। नमो दानवान्तप्रदे मानवानामनेकार्थदे भक्तिगम्यस्वरूपे ॥ न ते नामसंख्यां न ते रूपमीदृक्तथा कोऽपि वेदादिदेवस्वरूपे । त्वमेवासि सर्वेषु शक्तिस्वरूपा प्रजासृष्टिसंहारकाले सदैव ॥
न वा ते गुणानामियत्तां स्वरूपं वयं देवि जानीमहे विश्ववन्द्ये । कृपापात्रमित्येव मत्वा तथास्मान्भयेभ्यः सदा पाहि पातुं समर्थे ॥
(हे विश्वेश्वरि! हे प्राणों की स्वामिनि ! सदा आनन्दरूप में रहने वाली तथा देवताओं को आनन्द प्रदान करनेवाली हे | देवि! आपको नमस्कार है। दानवों का अन्त करनेवाली, मनुष्योंकी समस्त कामनाएँ पूर्ण करने वाली तथा भक्ति के द्वारा अपने रूप का दर्शन देने वाली हे देवि! आपको नमस्कार है। हे आदिदेवस्वरूपिणि! आपके नामों की निश्चित संख्या तथा | आपके इस रूपको कोई भी नहीं जान सकता। सबमें आप ही विराजमान हैं। जीवों के सृजन और संहारकाल में शक्तिस्वरूपसे सदा आप ही कार्य करती हैं। हे देवि! हे विश्ववन्द्ये! हम न आपके गुणों की सीमा जानते हैं और न आपका स्वरूप ही जानते हैं। अतः रक्षा करने में समर्थ हे देवि! हमें केवल अपना कृपापात्र मानकर आप भयों से निरन्तर हमारी रक्षा करती रहें।) [ श्रीमद्देवीभागवत ]
