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प्रातःकाल शय्या से उठते समय (The wake-up prayer)

(सर्वप्रथम शय्या पर बैठकर ही ईश्वर का स्मरण करें और निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण करें,

मंत्र न बोल सकें तो अर्थ का उच्चारण करें।)

 

सुप्रभातम् (Suprabhatam - Auspicious Morning)

उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज।उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यं मंगलं कुरु ।।हे गोविन्द! उठिए, हे गरुडध्वज! उठिए, हे कमलाकांत! निद्रा का त्यागकर तीनों लोकों का मंगल कीजिये।O Govind (God), wake up! O Garuda-dhvaja! wake up.

O Kamalaa kaant shower your blessings for the well being of all the three realms.

करदर्शन (Kara-darshanam Prayer)

(शय्या में ही दोनों हाथों को मिलाकर हथेली देखते हुए (करदर्शन करते हुए) अगला मंत्र पढ़े)

(While looking at the palm of hands joined toegether, recite the sloka)

कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम्।।(मेरी) हथेलियों के अग्रभाग में लक्ष्मी का, मध्य में सरस्वती का और मूल भाग में ब्रह्मा का निवास है।

अतः मैं प्रभात में हस्त दर्शन करता हूं

On the tip of palms (fingers) resides  Lakshmi, at the center of palm resides Saraswati.

At the Base of the hand dwell Brahmaa.

Therefore, I look and contemplate on palms.

 

त्रिदेव व नवग्रह मन्त्र (Triv-Dev and Nav-grah Mantra)

ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी, भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च।गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः, कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ।।

हे ब्रह्मा, विष्णु और शिव, मैं आपको नमस्कार करती हूं। हे त्रिदेव आप सूर्य, चन्द्र, मंगल,बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु सभी ग्रहों के अशुभ प्रभावों को शांत कर दो। ये ग्रह मेरी प्रभात में शुभ प्रभाव डाले।The Trideva-Brahma, Vishnu, Shiva; the planets Bhanu, Shashi, Bhumi-suta, Budh, Guru, Shukra, Shani, Rahu, Ketu. May all of them make my morning auspicious.

 

भू-देवी से क्षमा प्रार्थना (Prayer to Bhu-Devi, the Mother Earth)

(पृथ्वी पर पहला पैर रखने से पहले ही भूदेवी से इसके उसमें पांव रखने के क्षमा याचना हेतु मंत्र।)समुद्र वसने देवि पर्वत वक्षमण्डले।विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्व मे।।

हे पृथ्वीदेवी! आप समुद्र रूपी वस्त्र को धारण करने वाली हैं, पर्वत वक्ष मण्डल है।

तथा भगवान विष्णु की आप शक्ति हैं, आपको नमस्कार है। आप पर पांव रखने के लिए मुझे क्षमा करें।

O! Mother Earth, who has the ocean as clothes and mountains form the body,

who is the consort of Shri Vishnu, I bow to you. Please forgive me for touching you with my feet.

 

स्नान करते समय (Chant for Holy Bath)

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।नर्मदे सिन्धु कावेरी जलेऽस्मिन् संनिधिम् कुरु।।हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिन्धु, कावेरी नदियो! मेरे स्नान के इस जल में आप प्रवेश करें।

In this water for my bath, I invoke the presence of holy waters from

the river Gangaa, Yamunaa, Godaavari, Saraswati, Narmadaa, Sindhu and Kaaveri.

(तत्पश्चात शौच क्रिया, योग, व्यायाम, प्राणायाम, दन्तधावन, क्षौर-कर्म व स्नान से निवृत्ति होकर पूजा करें। सनातन धर्म की एक विशेषता है कि मानव के सभी कर्म परिभाषित किये हैं। स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर तिलक-चंदन लगा लें, शिखा बाँध लें। स्नान के बाद दो वस्त्र धारण करके पूर्व, ईशानकोण या उत्तर की ओर मुंख कर आसन पर बैठ जाएं। तुलसी, रुद्राक्ष आदि की माला धारण कर लें। दोनों अनामिकाओं में पवित्री धारण कर लें। इस प्रकार आसन पर बैठकर विनियोग मंत्र, मार्जन मंत्र, तिलक-भष्म आदि लगाकर आचमन करें, शरीर के अंग स्पर्श, पवित्री धारण करना, प्राणायाम मंत्र, गायत्री आदि मंत्र, प्रदक्षिणा, सूर्य को अर्घ्य की प्रक्रिया से संध्या की जाती है। आचमन के अपरान्त पुष्प, पत्र, फल, जल अर्पण करें। पूजा से पूर्व शंखनाद व घंटी बजानी चाहिए)।

 

दीप प्रज्ज्वलित करते समय (Lighting lamp)

(नित्य पूजास्थल में दीप जलाएँ और उसे देखते हुए इन मन्त्रों को पढ़ें)शुभं करोति कल्याणम्, आरोग्यम् धन संपदा।शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीप ज्योति नमोऽस्तु ते।।।हम उस दीप ज्योति को नमस्कार करते हैं जो शुभ करने वाली है तथा कल्याणकारी, आरोग्य व धन देने वाली है और जो शत्रुता पूर्ण बुद्धि का नाश करने वाली है।

I fold my hands before the flame of light that brings prosperity, auspiciousness,

good health, abundance of  wealth and leads to  destruction of the inimical feelings.

 

दीप (ज्योति मंत्र) (Deep Darshan)

दीपज्योतिः परब्रह्म, दीप ज्योतिर्जनार्दनः।दीपो हरतु मे पापं, दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते।।

ब्रह्म स्वरूप व विष्णु स्वरूप दीप ज्योति को मेरा नमस्कार है। यह ज्याति मेरे पापों का हरण करे।

Namaskar  to the Light of the Flame. The Light of the Lamp represents that

Supreme Brahmn, the Light of the Lamp represents Janardhana (Sri Vishnu). May the Light of the Lamp Remove my Paap; Namaskar  to the Light of the flame.

स्वास्थ्य व दीर्घायु मन्त्र (Mantra for Health and Long life)जीवेम शरदः शतम। भूयसी शरदः शतात। (हम सौ वर्ष जिएं और आगे भी जीते रहें)पश्येम शरदः शतम्जीवेम शरदः शतम्श्रुणुयाम शरदः शतम्प्रब्रवाम शरदः शतम्बुध्येम शरदः शतम्पूषेम शरदः शतम्भवेम शरदः शतम्भूयेम शरदः शतम्रोहेम शरदः शतम्अदीनाः स्याम शरदः शतम्भूयश्च शरदः शतात्।हे ईश्वर, हम सौ शरद पर्यन्त देखने में सक्षम रहें। हमारा जीवन सौ वर्षों तक चलता रहे। सौ वर्षों तक हमारे कान स्वस्थ रहें। हम सौ वर्षों तक स्पष्ठ उच्चारण करने में समर्थ रहें। सौ वर्ष तक हमारी बुद्धि सक्षम बनी रहे। सौ वर्षों तक हमारी उन्नति होती रहे। हमें सौ वर्षें तक पोषण व पुष्टि प्राप्त होती रहे। हम सौ वर्षों तक पवित्र बने रहें और कुविचार से बचे रहें। हम सौ वर्षों तक दूसरों पर आश्रित होने से बचे रहें अर्थात दूसरों पर निर्भर न होना पड़े, (हमारी सभी इंन्द्रियां-कर्मेन्द्रियां तथा ज्ञानेन्द्रियां-शिथिल न होने पावें)। यह सब सौ वर्षों के आगे भी होता रहे।

May our eyes remain healthy to see the hundred autumns;May we live for a hundred autumns ;May we be able to  listen for a hundred autumns;May we have clear speech  for a hundred autumns;May we keep learning for a hundred autumns;May we keep evolving  for a hundred autumns;May we be well naurished for a hundred autumns; May we exist for hundred autumns; May we remain pious for hundred autumns. May we not be dependent on others  for a hundred autumns;May all the above continue for beyond hundred autumns.

 

पूजा मंत्र (Jooja Mantra)

पंचाक्षरी मंत्र (Pancha Akshyari Mantra)ॐ श्री गणेशाय नमः।।ॐ श्री गणेशाय नमः

ॐ (Aum), Shri Ganeshaay Namahॐ (Aum), Salutation to Shri Ganesh.  

आचमन मंत्र (Aachaman Mantra)

(इन तीनों मंत्रों से एक-एक बार अर्थात कुल तीन आचमन करके

ॐ हृषीकेशाय नमः मंत्र के उच्चारण से एक आचमन जल भूमि में छोड़ कर हाथ धो लें।)ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः।।ॐ केशव को नमस्कार है, ॐ नारायण को नमस्कार है, ॐ माधव को नमस्कार है।

ॐ (Aum), Adorations to Keshava (krishna), (Aum), Adorations to Naaraayana,

(Aum), Adorations to Maadhava.

(आचमन करते समय हाथ में जल लें तथा मन में यह धारणा रहे कि

यह पवित्र जल मेरे शरीर को व्याधि रहित, निर्मल, व ओजपूर्ण बनाएगा तथा अमृतत्व प्रदान करेगा।)ॐ अमृतो पस्तरणमसि स्वाहा।ॐ अमृता पिधानमसि स्वाहा।ॐ सत्यं यशः श्रीर्मयि श्रीः श्रयतां स्वाहा।।हे ईश्वर परमपिता मेरी स्तुति स्वीकार करें। आप अमरत्व प्रदान करते हैं।

आप ही मोक्ष हेतु मेरी एकमात्र शरण हैं। हे प्रभो! आपकी शरण में रहते हुए स्वयं के लिए

तथा अन्य सभी के लिए मेरी यह प्रार्थना सच हो जाए। हमें ईश्वर मिले, ऐश्वर्य प्राप्त हो तथा सफलता प्राप्त हो।

O God please accept my offerings. You are the seat of immortality and are my shelter. May I, living under your protection, attain the truth, good name, worldly prospertiy and spiritual advancement for my own as well as for the good for others. May this prayer come true.

 

पवित्रीकरण (शुद्धि) मन्त्र (Purification Mantra)

(शुद्धि का अर्थ है शरीर, स्थान व आत्मा की शुद्धि व स्वच्छता।

पवित्रीकरण से मन, बुद्धि तथा विचारों को शुद्ध, शान्त व ध्यान युक्त किया जाता है।

इस मंत्र का उच्चारण पूजा स्थल में स्वयं पर जल छिड़कते हुए करें।)ऊँ अपवित्र: पवित्रो वासर्वावस्थां गतोऽपि वा।यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षंसः बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।।ॐ, कोई पवित्र या अपवित्र या अन्य किसी भी अवस्था में क्यों न हो, जो भगवनान पुण्डरीकाक्ष (विष्णु) का स्मरण करता हो उसे आन्तरिक व बाह्य दोनों ही शुद्धता प्राप्त हो जाती हैं।

ॐ (Aum), whether one is Apavitra (impure) or Pavitra (pure state),

or even in all other conditions, he, who remembers Pundari kaaksha (another name of

Sri Vishnu, literally meaning lotus-like eyes),  becomes Pure outwardly as well as inwardly.

अनन्य शरण (Ananya Sharan)त्वमेव माता च पिता त्वमेव।त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।त्वमेव विद्या द्रविणम् त्वमेव।त्वमेव सर्वम् मम देवदेव।।हे ईश्वर! आप ही मेरी माता हो, आप ही पिता हो, आप ही बन्धु हो, आप ही मित्र हो, आप ही विद्या हो, आप ही धन हो, हे देवदेव ! मेरे सब कुछ आप ही हो।O Iswar (God), You alone are my mother, my father,

my relative and my true friend. You are the wisdom in me

and are my only wealth. You are everything to me. O Ishwar almighty.

 

गायत्री मंत्र (Gaayatri Mantra)

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यंभर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्।।ॐ, हम उस परमात्मा के वैभव का ध्यान करते हैं जिसने ब्रह्माण्ड की रचना की

और उसे आलोकित किया है। वह ईश्वर हमारी शारीरिक व मानसिक  मलिनताओं का नाश करके हमारी बुद्धि को प्रज्ञा

व विवेक से सम्पन्न करें तथा हमें सन्मार्ग की ओर प्रेरित करे।

ॐ (Aum), We meditate on the glory of that supreme being who  created and illuminated this universe; May It remove our bodily & mental imperfections & enlighten and ignite our mind.

 

महामृत्युंजय मंत्र ( Mahaa-mritum-jaya Mantra)

ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।ॐ, जो संपूर्ण भव्यता, ज्ञान, प्रज्ञा व विवेक की सुगन्ध का स्रोत हैं, सृष्टि के पालनहार हैं, ऐसे त्रिनेत्र शिव हमें संसार के बन्धनों से मुक्ति प्रदान करें। मृत्यु के भय से छुटकारा दें और हमें ऐसी अनुभूति प्रदान करें कि हम ईश्वर से पृथक नहीं हैं।ॐ (Aum). We worship Shri Shiva, the one having third eye. One who is the abode of all fragrance of  wisdom  and serenity and who nourishes all creation. May It liberate us from the fear of death by making us realise that we are never seperated from the immortal.

 

पवमान-मन्त्र (Pavamaan  Mantra)

ॐ असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय।मृत्योर्माअमृतं गमय। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।ॐ, मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो। अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो। ॐ शांति, शांति, शांति।

ॐ (Aum)! Lead me from the unreal to the real! Lead me from darkness to light! Lead me from death to immortality. Aum peace, peace and peace.

विश्वरूप स्तुति (Visva Roopam Stuti)(मंत्रों में जो कमी रह जाती है उसकी पूर्ति स्तुतियों से हो जाती है। स्तुत्यात्मक श्लोकों को स्तोत्र कहते हैं।)ॐ त्वमादि देवः पुरुषः पुराणः।त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम्।वेत्तासि वेद्यं च परम् च धाम।त्वया ततं विश्व अनन्त रूपः।।जगत के रचयिता! आप आदि देव और सनातन सार्वभौमिक चैतन्य अस्तित्व हैं, आप इस जगत के परम आश्रय और जानने वाले तथा जानने योग्य हैं और आपसे सम्पूर्ण संसार व्याप्त है।

 ॐ (Aum), You are the source of all emanations.

You are the only sanctuary of this manifest cosmic world.

You know everything, and you are all that is knowable.

You are above the material modes. O limitless !

This whole cosmic manifestation is pervaded by you.

वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशांकः।प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च ।नमो नमस्तेस्तु सहस्त्र कृत्वः।पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते।।

आप वायु, यम, अग्नि, वरुण, चन्द्रमा, ब्रह्मा आदि देवताओं के कर्ता तथा सभी जीवों के सृजक हैं। आपके लिए हजारों बार नमस्कार। नमस्कार है। पुन आपको बारम्बार नमस्कार। नमस्कार है।You are the creator of air, death, fire, water, and you are the moon! 

You are the supreme controller and the grandfather.

Thus I offer my respectful obeisances unto you a thousand times, and again and yet again.

नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते।नमोस्तु ते सर्वत एव सर्व।अनन्तवीर्यामित विक्रमस्त्वं।सर्वं समाप्नोषि ततोसि सर्व।।आपको सामने से, पृष्ठ भाग से, आपकी पीठ कहीं नहीं है, अतः सब ओर से ही नमस्कार है (क्योंकि सर्वत्र आप हैं)। हे अनन्त व अमित पराक्रम वाले, आपने सबको समावृत कर रखा है अतः सब कुछ आप ही हैं।

Obeisances from the front, from rear indeed from all sides!

O unbounded power, You are the master of infinite valor and might!

You are all-pervading, and thus You are everything

पितासि लोकस्य चराचरस्य।त्वमस्य पूज्यश्च गुरुर्गरीयान्।न त्वत्समोऽस्त्यभ्यधिकः कुतोऽन्यो लोकत्रयेऽप्य प्रतिमप्रभाव।।आप ही इस चराचर संसार के उत्पत्ति कर्ता हैं? आप ही पूजनीय हैं और आप ही गुरुओं के महान गुरु हैं। हे अनन्त प्रभावशाली भगवन इस त्रिलोकी में आपके समान दूसरा कोई नहीं है? फिर अधिक तो हो ही कैसे सकता है।

You art the creator of moving and unmoving realm of the universe. You alone are there, there is no one equal to you and the question of superior does not arise.

कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा।बुद्ध्यात्मना वा प्रकृति स्वभावात्।करोमि यद्यत् सकलं परस्मै।नारायणयेति समर्पयामि।।अपने शरीर से, वाणी से, मन से, इन्द्रियों से, बुद्धि से, आत्मा से, प्रकृति व स्वभाव से जो भी मैं करता हूं वह सब नारायण को समर्पित है।

Whatever I perform with my body, speech, mind, limbs, intellect or my inner self, either intentionally or unintentionally, I dedicate all that to that Supreme Naaraayanaa.

 

शान्ति मन्त्र (Shanti Mantra)

ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवाः।भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवां सस्तनूभिःर्व्यशेमहि देवहितं यदायुः।।ॐ! हम अपने कानों से मंगल वचन सुनें। हे पूज्य देव! हम अपनी आँखों से मंगलमय घटित होते देखें। हम बलिष्ठ अंगों व स्वस्थ देह के माध्यम से दैवीय लक्ष्य हेतु जिएं।

ॐ (Aum)! May we hear auspicious words with the ears;May we see auspicious things with the eyes; May our organs and body be stable, healthy and strongh and; May our life be spend for divine purpose.ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्ष शान्तिः पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः।वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्मशान्तिः सर्र्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सामा शान्तिरेधि।।ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।द्यौ लोक में शान्ति हो, अन्तरिक्ष में शान्ति हो, पृथ्वी पर शान्ति हो, जल में शान्ति हो, औषधियों में शान्त हो, वनस्पतियाँ शान्त हों, विश्व के देवता शान्त हों, परम शक्ति ब्रह्म शान्त हो, सर्वत्र शान्ति हो, शान्ति ही शान्ति हो, सम्पूर्ण शान्ति हो, हम सभी को शान्ति प्राप्त हो, सर्वत्र शुभ शान्ति हो। ॐ शांति, शांति, शांति।

May there be peace in the cosmic solar world , may peace pervail in space, may peace pervail on the earth, may peace be in elemental waters, peace in herbs . May peace be in Devas, peace in Brahmn; peace, peace and peace alone. May everywhere be peaceful. ॐ Peace, Peace, Peace (be there in material, physical and spiritual existences).

क्षमा प्रार्थना (Seeking forgiveness for Limitations)

 

आवाहनं न जानामि, न जानामि विसर्जनं।पूजा चैव न जानामि, क्षम्यतां परमेश्वर।मंत्रहीनं क्रियाहीनं, भक्तिहीनं सुरेश्वर।यतपूजितं मया देव!, परिपूर्णं तदस्तु मे।।

न मैं आवाहन की विधि जानती हूं/जानता हू, न विसर्जन की। न पूजा पद्धति का ही मुझे ज्ञान है। अतः हे परमेश्वर! मुझे क्षमा करें। हे सुरेश्वर मुझ मंत्र हीन, क्रिया हीन, भक्ति हीन द्वारा जो भी पूजा की जा रही है, उसे परिपूर्ण करें।I do not know how to invoke (God), nor do I know ceremonial departure, and I also do not know how to worship you. Therefore, please pardon me Parameswar. I do not know chants or ceremonies or devotion, Oh Ishwar of Sura,  whatever worship I do, please make it fulfiling.


प्रदक्षिणा मन्त्र (Pradikshina Mantra-circumambulate)

(पूजा के अनन्त में अपनी जगह पर खड़े होकर दाहिनी ओर से तीन बार घूमकर बोले)ॐ यानि कानि च पापानिजन्मान्तर कृतानि च।तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिणा पदे-पदे।।

ॐ मैंने जन्म से लेकर आज तक जो पाप किए हैं। उन पापों का मेरी इस प्रदक्षिणा के पद-पद पर नाश करें।

ॐ (Aum),  I have committed many Paap (sins) all my life, right from my birth. I beseech you to destroy them at every step of my pradakshinaa. 

सूर्य अर्घ्य तर्पण मंत्र : सूर्य को अर्घ्य देते समय(Oblation to Sun - Arghya Tarpan)(ब्रह्मांड में सूर्य को प्रत्यक्ष देव माना गया है)ॐ  एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।अनुकम्पय माम् भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।

ॐ ब्रह्मांड में हजारों किरण बिखेरने वाले हे सूर्य मेरे ऊपर कृपा करो। हे दिवाकर मेरी अर्घ्य प्रार्थना स्वीकार करो।ॐ (Aum) Surya!  the emitter of thousands of rays over the universe, bless me with your grace by accepting my offering. O the day maker.

(अन्य महत्त्वपूर्ण मंत्र जिन्हें नित्य संध्या वंदन में सम्मिलित किया जा सकता है)

तारक मंत्रश्री राम जय राम जय जय राम। जैसे जनेऊ के समय गायत्री मंत्र याजक के कान में बोला जाता है वैसे ही मृत्यु शय्या पर वैठे ब्यक्ति के कान में यह तारक मंत्र बोला जाता है।

शान्ति मन्त्र (Shaanti Mantra)

ॐ विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासुव। यद् भद्रं तन्न आ सुव।।ॐ हे विश्व देव,आप हमारे सम्पूर्ण दुर्गुणों व दुःखों को दूर कर कीजिए और जो कुछ कल्याण कारक है, उसको हमें भलीभांति प्राप्त कराइये।

ॐ (Aum)! O Dev of Universe, remove all forms of vice and sorrow from us. Give us all that which is  blissful and auspicious.

स्वस्ति वाचन (Swasti Vaachan)

(स्वस्तिवाचन का तात्पर्य है शुभ व मंगलकारी वचनों को बोलना, यदि मंत्र न पढ़ सकें तो इसके अर्थ का वाचन करें)ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाःस्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्ट नेमिःस्वस्ति नो बृहस्पतिर्द धातु।।सर्वशक्तिमान परमेश्वर हम सबका कल्याण करें। सब कुछ का ज्ञाता और सबका पालन-पोषण करने वाला हमारा कल्याण करें। अमोघ अस्त्र वाला, सबको देखने वाला हमारा कल्याण करें। सबका कर्ता-धर्ता महान स्वामी हम सबका कल्याण करें। बृहस्पति कल्याण करे।

May Indra of Great majesty bless us with well being. May the Omniscient Poosha bless us. May the Protector, the one having greatest weapon protect us. May  Brihaspati protect us. Aum, Peace, Peace, Peace.

मित्रस्याहं चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षे। मित्रस्य चक्षुषा समीक्षामहे।।हमें विश्व के सारे प्राणी नित मित्र दृष्टि से देखें और सभी जीवों को हम मित्र दृष्टि से देखें।

Let all living beings in this world look at me with a friendly eye and let me look at all living beings with a friendly eye. Let us all see each other with a friendly eye.


गणपति मंत्र (Ganpati Mantra)

ॐ गणानां त्वा गणपतिं हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपतिं हवामहे। निधीनां त्वा निधिपतिं हवामहे वसो मम। आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम्।।

ॐ, समस्त गणों के गणपति एवं प्रिय पदार्थों व प्राणियों के पालक प्रियपति और समस्त सुखनिधियों के निधिपति ! आपका हम आवाहन करते हैं। आप सृष्टि को उत्पन्न करने वाले हैं। हे संसार को अपने-आप में धारण करने वाले हिरण्यगर्भ, हमें आपकी शरण मिले।

ॐ (Aum), O the one adorned with Ganaa (sub-deities), O Possessior of all kinds of love, we offer worship to you. O ower of all kinds of wealth, we invoke you. My we be blessed with Your shelter.

चरणामृत लेने का मंत्र (Charnaamrit Mantra)

(चरणामृत लेते समय यह भावना रहे कि यह ईश्वर का प्रसाद मेरे शरीर को निर्मल, ओजपूर्ण व निरोगी बनाएगा, व्याधियों को मिटा देगा और सन्मार्ग में प्रेरित करेगा।)

ॐ अकाल मृत्युहरणं, सर्वव्याधि विनाशनम्।विष्णोः पादोदकं पीत्वा, पुनर्जन्म न विद्यते।।ॐ यह पवित्र चरणामृत अकाल मृत्यु से मेरी रक्षा करे, समस्त व्याधियों को विनष्ट करे। श्री विष्णु की कृपा वाला यह पवित्र जल पीने से मुझे पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिले।

ॐ Aum, May I be saved from untimely death, let all my ills be destroyed.

By sipping the holy water emanating from the divine feet of Shri Vishnu, May I be liberated from the cycle of birth and death.

भोजन से पहले का मंत्र (Mantra before Meals)

ब्रह्मार्पणं ब्रह्म हविः, ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।ब्रह्म एव तेन गन्तव्यं, ब्रह्म कर्म समाधिना।(ईश्वर में लीन व्यक्ति द्वारा) पेट की अग्नि (जठराग्नि) में जो आहुति दी जाती है, वह भी ब्रह्म है। जिन पदार्थों की आहुति दी जाती है, वे भी ब्रह्म हैं। जिस अग्नि में आहुति दी जाती है, वह भी ब्रह्म है। उस ब्रह्मरूपी कर्म की समाधि भी ब्रह्म ही है।

ॐ (Aum) The instrument, the object, the doer and the act - of offering (having food) are all Brahmn for a devotee. The State of Brahmn alone is the desitination for the one who is steadfast in selfless deeds.

गणेश स्तुति (Ganesh Stuti)विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियायलम्बोदराय सकलाय जगत् हिताय।नागा ननाय श्रुति यज्ञ विभूषितायगौरी सुताय गणनाथ नमो स्तुते।।हे विघ्नेश्वर, वर देने वाले, सुरो को प्रिय, लम्बोदर, कलाओं से परिपूर्ण, जगत का हित करने वाले, गज के समान मुख वाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वती पुत्र हे गणनाथ! आपको नमस्कार है।

O! Remover of obstacles, who bestows boons, dear to Suras, large bellied (where entire creation dwells) complete with all grace, benevolent one, the elephant faced adorned by Vedas and Yagyas, We bow to the progeny of Parvati, Namaskar to the Gana-naath.

स्वस्ति वाचन-संगठन मंत्र (Sangathan Mantra)

ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सहवीर्यं करवावहै। तेजस्वि नावधीतमस्तु। मा विद्विषावहै।ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।ॐ, हे परमात्मन! आप हमारी रक्षा करें, हमारा पालन-पोषण करें, हम साथ-साथ शक्ति प्राप्त करें, हमारी प्राप्त की हुई विद्या तेजप्रद हो, हम परस्पर द्वेष न करें, परस्पर स्नेह करें।

May us be protected together. May us be naurished together. May us be united together by work with full of energy and vigour. May our learning be enlightening. May we not be jealous of each other.ॐ peace, peace, peace.

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनःसर्वे सन्तु निरामयाः।सर्वे भद्राणि पश्यन्तुमा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।।ॐ सभी सुखी होवें, सभी निरामय रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।

ॐ (Aum), May all be happyMay all be free from illnessMay all be witness of the auspiciousness. May no one suffer.

शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् (Shiv Panchakshar Strotram)

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनायभस्मांग रागाय महेश्वराय।नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय।तस्मै न काराय नमः शिवाय।।जो नागराज को हार स्वरूप पहने हुए हैं, तीन नेत्रों वाले हैं, तथा भस्म की राख को सारे शरीर में लगाये हुए हैं, ऐसे महान ऐश्वर्य सम्पन्न शिव नित्यदृअविनाशी तथा शुभ हैं। दिशायें जिनके लिए वस्त्र हैं, अर्थात सर्वव्याप्त हैं, ऐसे उस ‘न’ कार स्वरूप शिव को मैं नमस्कार करती हूं।

The who has the king of snakes as garland and who has a third eye, whose body is smeared with sacred ashes and who is the great Ishwar, who is eternal, who is ever pure with the four directions as clothes, (spread in all four directions) Namaskar to that Shiva, who is represented by the syllable “Na”

मन्दाकिनी सलिल चन्दन चर्चितायनन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजितायतस्मै म काराय नमः शिवाय।।जो मन्दाकिनी के जल से तथा चन्दन से अलंकृत है, नंदी तथा अन्य भूतगणों के नाथ महेश्वर है, मंदार और अन्य बहुत प्रकार के पुष्पों से जिनका पूजन किया जाता है ऐसे ‘म’ कार से सम्बोधित होने वाले भगवान शिव को नमन है।

The one who is worshipped with the sacred water of Mandakini river and smeared with sandalwood paste, who is the Ishwara of Nandi and of the Devtas, Sura, ghosts and goblins, who is worshipped with Mandara and many other flowers, Namaskar to that Shiva, who is represented by the syllable “Ma”.

शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वर नाशकाय।श्री नीलकण्ठाय वृषभध्वजायतस्मै शि काराय नमः शिवाय।।जैसे सूर्य के आने से कमल खिल उठते हैं। ऐसे ही देवी गौरी के मुखमंडल को प्रफुल्लित करने वाले, दक्ष के यज्ञ का नाश करने वाले नीलकंठ भगवान जो नंदी पर सवार होते हैं। उन ‘शि’ कार से सम्बोधित होने वाले भगवान शिव को नमन है।

Who is auspicious and who like the rising sun  causes the lotus-face of Gauri to blossom, who is the destroyer of the sacrifice of Dakshaa, who has a blue throat and has a Nandi as emblem, Namaskar to that Shiva, who is represented by the syllable “shi”.

वशिष्ठ कुम्भोद् भव गौतमाय मुनीन्द्र देवार्चित शेखराय।चन्द्रार्क वैश्वानर लोचनायतस्मै व काराय नमः शिवाय।।जिनकी स्तुति, वशिष्ठ, अगस्त्य और गौतम जैसे श्रद्धेय मुनियों द्वारा की जाती है तथा देवताओं द्वारा अर्चना की जाती है। सूर्य, चन्द्र तथा अग्नि जिनकी आंखें हैं, उस ‘व’ कार से संबोधित होने वाले शिव को नमस्कार है।

Who is worshipped by the most respected sages–Vasishtha, Agastya and Gautama, and also by the Devtaas, and who is the crown of the universe, who has the moon, sun and fire as three eyes, Namaskaar to that Shiva, who is represented by the syllable “va”.

यक्ष स्वरूपाय जटा धरायपिनाक हस्ताय सनातनाय।दिव्याय देवाय दिगम्बरायतस्मै य काराय नमः शिवाय।।भगवान यक्ष के स्वरुप वाले है। हाथ में त्रिशूल और सिर पर जटा धारण करने वाले सनातन भगवान शिव दिव्यस्वरूप लिए हैं। ऐसे दिव्यस्वरूप वाले दिगंबर भगवान जो ‘य’ कार से सम्बोधित होते हैं, उनको नमन है.

Who is the embodiment of Yakshya  and who has matted locks, who has the trident in his hand and who is eternal, who is divine, who is the shining one and who is spread in all the four directions, Namaskar to that Shiva, who is represented by the syllable “Ya”.

श्री राम स्तुति (Shree Ram Stuti)

रामो राजमणिः सदा विजयते, रामं रमेशं भजे।रामेणा भिहता निशाचर चमूः, रामाय तस्मै नमः।रामान्नास्ति परायणं परतरं, रामस्य दासोस्म्यहं।रामे चित्तलयः सदा भवतु मे, भो राम मामुद्धर।।

मैं श्री राम का ध्यान करती हूं जो राजाओं में रत्न की तरह हैं, जो सदा विजयी होते है, जो मां सीता के पति हैं, मैं श्री राम को नमस्कार करती हूं जिन्होंने निशाचरों की भयानक सेना को ध्वस्त किया। श्री राम से बड़ी कोई और शरण नहीं है, मैं श्री राम की तुच्छ दाश हूं, मेरा मन सदैव राम की लय में रहे। राम मुझे मुक्ति प्रदान करें।

I contemplate on Sri Rama, Who is the Jewel among the Kings, Who always Emerges Victorious and Who is the consort of Sita Devi. I offer Namah to Sri Rama who Destroyed the mighty armies of the Demons.There is no greater Refuge than Sri Rama. I am a devotee Servant of Sri Rama. Let my mind for ever Meditate on Rama. O Sri Rama. Kindly grant me Mokshya.

 

एक श्लोकी रामायण (Ramayana in one verse)

आदौ राम तपो वनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम्।वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव सम्भाषणम्।बाली निर्दलनं समुद्र तरणं लंका पुरी दाहनम्।पश्चात रावण कुम्भकर्ण हननं एतद्धि रामायणम्।।

आरम्भ में श्री राम तप आदि हेतु वन में गए। वहां स्वर्ण मृग का वध किया। सीता जी का हरण हुआ जिसमें जटायु ने अपने प्राण गवाएं। श्रीराम का सुग्रीव से संबाद हुआ। बालि का वध, समुद्र पार करके लंकापुरी का दहन हुआ। इसके पश्चात् रावण और कुम्भकरण का वध हुआ। यही पूरी रामायण की संक्षिप्त कथा है।

In the beginning Shri Ram went to Forest for austerity.There he chased and killed the Golden Deer. Meanwhile Sita was abducted and Jatayu was killed. Ram spoke with Sugriva. Bali eliminated, Crossed the ocean and Lanka gest burnt down. Later elimination of Ravan and  Kumbhkaran. This is the story of Ramayana.

गोपी गीत-श्री कृष्ण स्तुति (Shri Krishna Stuti)

कस्तुरी तिलकं ललाट पटले वक्षस्थले कौस्तुभं ।नासाग्रे वरमौक्तिकं करतले वेणुः करे कंकणम।।

हे श्री कृष्ण! आपके मस्तक पर कस्तूरी तिलक सुशोभित है। आपके वक्ष पर देदीप्यमान कौस्तुभ मणि विराजित है, आपने नाक में सुंदर मोती पहना हुआ है, आपके हाथ में बाँसुरी है और कलाई में आपने कंगन धारण किये हुए हैं।

Shri. Krishna is adorned with the Sacred Tilak on the forehead and Kaustubha Jewel on His Chest, His Nose is decorated with a Shining Pearl, the Palms of His Hands are  holding a Flute, the wrists are beautifully decorated with Bracelets.

सर्वांगे हरि चन्दनं सुललितं कंठे च मुक्तावलिं।गोपस्त्री परिवेष्टितो विजयते गोपाल चूडामणिः।

हे हरि! आपकी सम्पूर्ण देह पर सुगन्धित चंदन लगा हुआ है और सुंदर कंठ मोतियों की हार से विभूषित है, आपकी भक्ति में लगी गोपियों के बीच आप मुकुट के रत्न की तरह शोभायमान हैं। हे गोपाल! आप सर्व सौंदर्य पूर्ण हैं, आपकी जय हो।

The whole body is beautifully smeared with sandal paste and there is necklace  of pearl in his neck. Surrounded by the Gopis (Devotees), the Krishna is shining in the middle like a jewel in the crown.

श्री कृष्णाष्टकम् (Shree krishnaastakam)

वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्।देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।

वसुदेव पुत्र भगवान, जिन्होंने कंस व चाणूर जैसे असुरों का वध किया था। जो अपनी माता देवकी के लिए परम आनन्द के स्रोत हैं। ऐसे जगतगुरु भगवान श्री कृष्ण की मैं वंदना करती हूंI

offer my obeisance's to Shri Krishna, the beloved son of Vasudeva, who annihilated the  demons Kamsa and Canura, Who is the source of great joy to Mother Devaki; and who is indeed a world teacher and spiritual master of the universe.

 

श्री राम वंदना (Shri Raam  Vandanaa)

आपदा मपहर्तारं, दातारां सर्व सम्पदाम्।लोका भिरामं श्री रामं, भूयो-भूयो नामाम्यहम्।।आपदाओं से वाचने वाले और सभी प्रकार की सुख-संपदा देने वाले लोकाभिराम भगवान श्री राम को बार-बार नमन करती हूं।

Who removes all misfortunes, who is the giver of all wealth and happiness. By looking at whom, the worlds feel pleased, to that Shree Ram, I bow again and again.

रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय मानसे।रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः।

राम के लिए, रामभद्र के लिए, रामचंद्र के लिए, रघुनाथ के लिए, विश्व के रचियता के लिए, सीतापति श्री राम के लिए मैं वंदना करता हूं। 

I bow down to shree Ram, to  Rambhadra, to Ramchandra, to  Raghunaath, to the creator of this universe, to the consort of mother Sita.

नीलाम्बुज श्यामल कोमलांगम, सीता समारोपित वामभागम्।पाणौ महासायक चारूचापं।नमामि रामं रघुवंशनाथम्।।बाल्यावस्था में जिनका नीले कमल के समान श्याम रंग व कोमल अंग, जिनकी विवाह लीला माता सीता जी से हुई, जिन्होंने रणलीला अपने हाथों में शत्रुओं को जीतने वाले महा धनुष से की तथा चौथी लीला रामराज्य की स्थापना करके रची। ऐसे भगवान श्री राम को मै नमस्कार करता हूं।Whose body has the colour of a blue lotus and grey, and is soft (childhood), who marries with Mother Sita, Who has a transcendental arrow and a beautiful bow in His hands. I pray to that Sri Ram who is the Lord of Raghu dynasty.

श्री कृष्ण लीलामृत (Shri Krishna Lilamrit)

आदौ देवकी देव गर्भ जननंगोपी गृहे वर्धनम्।माया पूतन जीविताप हरणं गोवर्धनोद्धारणम्।कंसच्छेदनं कौरवादि हननंकुंतीसुतां पालनम्।एतद्भागवतं पुराण कथितं श्री कृष्णलीलामृतम्।

देवकी के गर्भ से जन्म से लीला प्रारंभ होती है और तब गोपी गृह में लालन-पालन के पश्चात मायावी पूतना का वध, गोवर्वधन पर्वत को उठाना, कंश का छेदन तथा कौरवों का वध, कुंती पुत्रों का पालन। यही है भागवत पुराण में वर्णित कृष्ण लीला का अमृत।

Begining with birth from the womb of Devaki, growth in the house of cow-herds, Vadh (Killing of demon) of Putana, lifting of Govardhana mountain, the piercing apart of Kamsa and the vadh of kauravas, protecting the sons of Kunti - This is Bhagavatam as told in the epics. This is the nectar of Shri Krishna's lila (miraculous deeds).

शुक्लां ब्रह्म विचार सार परमांआद्यां जगद् व्यापिनींवीणा पुस्तक धारिणीम अभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।

शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किये गए चिंतन का सार रूप, परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से मुक्त करने वाली, अज्ञान के अंधेरे को मिटाने वाली, हाथों में माधुर्य रूपी वीणा व ज्ञान रूपी पुस्तक लिए और स्वेत स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा (सरस्वती देवी) की मैं वंदना करता हूं

Pure White in Colour, the omnipresent and whose essence can only be acquired by enquiring into the nature of Brahman (Absolute Consciousness); is Supreme and Primeval, Who is holding the Veena and Book of knowledge which removes the darkness of Ignorance from our Minds, and displaying the gesture of Abhaya (fearlessness), Who is holding a Garland of Crystal beeds in Her Hand (shining with Purity) and Who is seated on the Lotus flower)

सरस्वती ध्यान (Meditation of Devi Saraswati)

या कुन्देन्दु तुषार हार धवलाया शुभ्र वस्त्रवृताया वीणा वरदण्ड मण्डित कराया श्वेत पद्मासना।या ब्रह्माच्युत शंकर प्रभृति भिर्देवैः सदापूजितासा मां पातु सरस्वति भगवतीनिःशेष जाड्या पहा।।

जो कुन्द के फूल की तरह धवल हैं चन्द्रमा की तरह शीतल हैं, जिन्होंने तुषार पुष्प की हार तथा स्वेत वस्त्र धारण किये हैं, जिनके हाथ में वीणा है तथा वरद मुद्रा है। और जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है। जो ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर की श्रद्धा प्राप्त तथा देवताओं की पूज्य हैं, संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली वह मां सरस्वती हमारी रक्षा करें।

Who is Pure White like Jasmine, with the Coolness of Moon, Brightness of Snow and Shine like the garland of Pearls; and Who is adorned with Pure White Garments,  her Hands are in the string of  Veena  and the Boon  and Giving Varad posture. The one who is seated on Pure White Lotus, Who is always adored by Shri Brahma, Shri Vishnu, Shri Shankara and Other Devas, O Devi Saraswati, Please Protect me and Remove all my Ignorance.

सरस्वती ध्यान (Meditation of Devi Saraswati)

या कुन्देन्दु तुषार हार धवलाया शुभ्र वस्त्रवृताया वीणा वरदण्ड मण्डित कराया श्वेत पद्मासना।या ब्रह्माच्युत शंकर प्रभृति भिर्देवैः सदापूजितासा मां पातु सरस्वति भगवतीनिःशेष जाड्या पहा।।

जो कुन्द के फूल की तरह धवल हैं चन्द्रमा की तरह शीतल हैं, जिन्होंने तुषार पुष्प की हार तथा स्वेत वस्त्र धारण किये हैं, जिनके हाथ में वीणा है तथा वरद मुद्रा है। और जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है। जो ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर की श्रद्धा प्राप्त तथा देवताओं की पूज्य हैं, संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली वह मां सरस्वती हमारी रक्षा करें।

Who is Pure White like Jasmine, with the Coolness of Moon, Brightness of Snow and Shine like the garland of Pearls; and Who is adorned with Pure White Garments,  her Hands are in the string of  Veena  and the Boon  and Giving Varad posture. The one who is seated on Pure White Lotus, Who is always adored by Shri Brahma, Shri Vishnu, Shri Shankara and Other Devas, O Devi Saraswati, Please Protect me and Remove all my Ignorance.

भगवती मंत्र (Bhagwati Mantra)

ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।सब प्रकार से मंगल प्रदान करने वाली, मंगलमयी, सबका कल्याण करने वाली, सब के मनोरथ को पूरा करने वाली, केवल तुम्हारी शरण ग्रहण करने योग्य है, तीन नेत्रों वाली नारायणी आप को नमस्कार है।

Ma Durga is the most auspicious and the one who blesses all the worlds with auspiciousness.  Pure holy Mother may protect me, provide your refuge as I  surrender to Gauri . I bow down to the Narayani and worship her.

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।जो देवी सब प्राणियों में मां के रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है ।

“That Bhagwati  Durga who is present in every creature as Mother. Salutations, salutations, salutations, namo namah.

 शरणांगत दीनार्त परित्राण परायणे।सर्वस्यार्तिहरे देवी नारायणि नमो स्तु ते।।शरण में आए हुए दीन दुखियों की रक्षा में संलग्न तथा सब की पीड़ा दूर करने वाली नारायणी देवी! तुम्हें नमस्कार है।

You are the last refuge for the pitiable and downtrodden. You remove everyone's troubles, O Devi, O Naaraaya?i salutations be for you.

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततंनमः।नमः प्रकृत्यै भद्राये नियताः प्रणताः स्मताम्।

देवी को नमस्कार है, महादेवी, शिवा को सतत नमस्कार है। प्रकृति एवं भद्रा को प्रणाम है। नियमपूर्वक जगदंबा को नमस्कार है।

Salutations to the Devi, to the Mahadevi; continuous Salutations to the  Auspicious One. Salutations to the Primordial Source of Creation and Controller of Everything; We continuously salute Her.

देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद, प्रसीद मातर्जगतोऽखिलस्य।  प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं, त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य।।शरणागत की पीड़ा दूर करने वाली देवी भगवती! प्रसन्न होओ। सम्पूर्ण जगत की माता ! प्रसन्न होओ। विश्वेश्वरि ! विश्व की रक्षा करो। देवी ! तुम्ही चराचर जगत की अधीश्वरी हो।

O! Bhagawati Devi, You remove distress of all who take refuge in you, please be pleased. Be pleased, Oh! Mother of the entire perceiveable World. Be pleased, Oh Supreme of the Universe; protect the universe. Oh Goddess, you are Supreme Ishwariy of the entire movable and immovable creation.

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।रूपं देहि जयं देहि, यघो देहि द्विषो जहि।।हे देवी मुझे सौभाग्य और आरोग्य दो। मुझे परम सुख दो, मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और शत्रुओं का नाश करो।

Grant me, O Bhagawati , good fortune , grant me good health, Grant be blissfulness. Grant me looks, grant me victory , grant me fame ,and eliminate my enemiesआत्म समर्पण मंत्र (Aatma-Samarpan Mantra- Surrender to God)अन्यथा शरणम् नाऽस्ति, त्वमेव शरणम् मम्।तस्मात्कारूण्य भावेन, रक्ष माम् परमेश्वरः।हे ईश्वर! अन्यत्र मेरी कोई शरण नहीं है। केवल मात्र तुम्हारी शरण है। इसीलिए करुणा करें और मेरी रक्षा करें।

I have no other refuge, and you are my sole refuge. Therefore, compassionate parameshwara protect me!

शुभेच्छा (Well wishes)स्वस्त्यस्तु विश्वस्य खलः प्रसीदतां।ध्यायन्तु भूतानि शिवं मिथो धिया।मनश्च भद्रं भजतादधोक्षजे।आवेश्यतां नो मतिरप्यहैतुकी।विश्व का कल्याण हो, दुष्ट अपनी दुष्टता का परित्याग करके शांत होवें, सभी प्राणियों में सद्भाव हो, हम एक-दूसरे का हित व मंगल चाहें, हमारा मन शुभ कार्यों में लगे। हम परमात्मा का निष्काम भाव से चिंतन करें।

May there be bliss throughout the universe, may all envious persons be pacified. May all living entities have goodwill and benervolence. May we be selflessely devoted to the supreme being.

 

दैनिक प्रार्थना हेतु वैदिक मंत्र

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